Monday, September 27, 2010

मेरो दरद न जाणै कोय

मेरो दरद न जाणै कोय

हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।
घायल की गति घायल जाणै जो कोई घायल होय।
जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय।
सूली ऊपर सेज हमारी सोवण किस बिध होय।
गगन मंडल पर सेज पिया की किस बिध मिलणा होय।
दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय।

Sunday, September 26, 2010

राम रतन धन पायो

राम रतन धन पायो

पायो जी म्हे तो रामरतन धन पायो
बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा को अपणायो
जनम जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो
खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढत सवायो
सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
मीरा के प्रभु गिरधरनागर, हरख-हरख जस पायो

Wednesday, September 22, 2010

हरो जन की भीर

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी चट बढ़ायो चीर॥
भगत कारण रूप नर हरि धर।ह्‌यो आप समीर॥
हिरण्याकुस को मारि लीन्हो धर।ह्‌यो नाहिन धीर॥
बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥

बाला मैं बैरागण हूंगी।

बाला मैं बैरागण हूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।